• संपादकीय : वास्तविकता में पत्रकारिता क्या ऐसी होना चाहिए.....?

    HEMANT GUPTA   - नीमच
    संपादकीय
    संपादकीय   - नीमच[07-11-2024]
  • पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती है, जिसका मुख्य कार्य समाज को सूचित, शिक्षित और जागरूक करना है। इसके माध्यम से समाज में सत्य और निष्पक्षता को बनाए रखने का प्रयास होता है। लेकिन हाल के वर्षों में पत्रकारिता के स्वरूप और इसके उद्देश्य में बदलाव देखने को मिला है। आज पत्रकारिता में समाचारों को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत करने का चलन बढ़ता जा रहा है, जो उसकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।

    पत्रकारिता का मूल उद्देश्य समाज के मुद्दों को सामने लाना, सत्ता और प्रशासन की गलतियों को उजागर करना और जनता की आवाज को स्वर देना है। एक निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए सत्य और ईमानदारी आवश्यक हैं, लेकिन अब कई मीडिया संस्थान राजनीतिक और कॉर्पोरेट दबाव में आकर अपनी निष्पक्षता से समझौता करते दिखाई देते हैं। इसके परिणामस्वरूप मीडिया का एक वर्ग जनहित के मुद्दों को छोड़कर मात्र व्यावसायिक हितों के लिए कार्य करता नजर आता है।

    इसके अलावा, सोशल मीडिया और डिजिटल पत्रकारिता के बढ़ते प्रभाव के कारण भी पत्रकारिता की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। खबरों को तेजी से प्रसारित करने की होड़ में अक्सर सत्यता की जांच करने में चूक होती है। इस प्रकार की गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता से समाज में भ्रम और अफवाहें फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

    पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसकी विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करना है। इसके लिए मीडिया को निष्पक्ष, तथ्यात्मक और जिम्मेदार रिपोर्टिंग करनी होगी। साथ ही, समाज को भी यह समझने की आवश्यकता है कि पत्रकारिता का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक जागरूक और सशक्त समाज का निर्माण करना है। पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को अपनी भूमिका का गहराई से आकलन करना चाहिए ताकि पत्रकारिता का यह चौथा स्तंभ लोकतंत्र की मजबूती में सहायक बने, न कि उसे कमजोर करने का कारण बने।



  • संपादकीय : वास्तविकता में पत्रकारिता क्या ऐसी होना चाहिए.....?

    HEMANT GUPTA   - नीमच
    संपादकीय
    संपादकीय   - नीमच[07-11-2024]

    पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती है, जिसका मुख्य कार्य समाज को सूचित, शिक्षित और जागरूक करना है। इसके माध्यम से समाज में सत्य और निष्पक्षता को बनाए रखने का प्रयास होता है। लेकिन हाल के वर्षों में पत्रकारिता के स्वरूप और इसके उद्देश्य में बदलाव देखने को मिला है। आज पत्रकारिता में समाचारों को सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत करने का चलन बढ़ता जा रहा है, जो उसकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।

    पत्रकारिता का मूल उद्देश्य समाज के मुद्दों को सामने लाना, सत्ता और प्रशासन की गलतियों को उजागर करना और जनता की आवाज को स्वर देना है। एक निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए सत्य और ईमानदारी आवश्यक हैं, लेकिन अब कई मीडिया संस्थान राजनीतिक और कॉर्पोरेट दबाव में आकर अपनी निष्पक्षता से समझौता करते दिखाई देते हैं। इसके परिणामस्वरूप मीडिया का एक वर्ग जनहित के मुद्दों को छोड़कर मात्र व्यावसायिक हितों के लिए कार्य करता नजर आता है।

    इसके अलावा, सोशल मीडिया और डिजिटल पत्रकारिता के बढ़ते प्रभाव के कारण भी पत्रकारिता की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। खबरों को तेजी से प्रसारित करने की होड़ में अक्सर सत्यता की जांच करने में चूक होती है। इस प्रकार की गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता से समाज में भ्रम और अफवाहें फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

    पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसकी विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करना है। इसके लिए मीडिया को निष्पक्ष, तथ्यात्मक और जिम्मेदार रिपोर्टिंग करनी होगी। साथ ही, समाज को भी यह समझने की आवश्यकता है कि पत्रकारिता का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक जागरूक और सशक्त समाज का निर्माण करना है। पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को अपनी भूमिका का गहराई से आकलन करना चाहिए ताकि पत्रकारिता का यह चौथा स्तंभ लोकतंत्र की मजबूती में सहायक बने, न कि उसे कमजोर करने का कारण बने।