नीमच : हमारे जीवन में जब संकट आता है उस समय जो सहयोग करता है वही सच्चा मित्र होता है। जिस प्रकार गजेंद्र मोक्ष के प्रसंग में मगरमच्छ द्वारा हाथी का पांव पकड़ लिया था जब हाथी के प्राण संकट में थे तब हाथी परमात्मा को पुकारता है और तब परमात्मा हाथी के जीवन की रक्षा करते हैं।इसलिए सुख के समय भी हम भगवान की भक्ति निरंतर करते रहे तो परमात्मा दुःख की घड़ी में हमारा साथ देते है।इस प्रंसग से हमें शिक्षा मिलती है। कि संकट की घड़ी में हमें कभी घबराना नहीं चाहिए ।संकट का हंसकर मुकाबला करना चाहिए। तभी जीवन सुखमय होता है।यह बात पंकज कृष्ण महाराज ने कहीं। वे आप और हम प्रेमी जन मंडल के तत्वावधान में स्पेंटा पेट्रोल पंप के पीछे श्री शनि देव मंशा पुर्ण महादेव मंदिर इंदिरा नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दान देने से धर्म चल रहा है। दान बंद करेंगे तो धर्म नष्ट हो जाएगा। दया सत्य तप नष्ट होने की कगार पर है। कृष्ण भगवान प्रेम के भूखे थे ।उन्होंने विदुर रानी के केले के छिलके नहीं खालिए थे।उन्होंने अजामिल प्रसंग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कलयुग में सिर्फ राम नाम जपने मात्र से ही मुक्ति हो जाती है।जड़ भरत के प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि अंत समय में जैसे मति होती है वैसे ही हमारे आत्मा की गति होती है।इसका अर्थ यह है कि अंत समय में प्रभु स्मरण से ही मुक्ति हो सकती है।भक्त प्रहलाद चरित्र से यह शिक्षा मिलती है कि भक्ति की शक्ति से निर्जीव वस्तुओं से भगवान प्रकट हो सकता है।गजेंद्र मोक्ष की कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आत्म समर्पण कर के ही भगवान प्राप्त हो सकते हैं ना कि अभिमान से।भगवान श्रीराम का चरित्र धारण करने योग्य है।मन की सोच ही बंधन और मुक्ति का कारण होती है। मन के जीते जीत होती है। मन के हारे हार होती है। इसलिए मन को पवित्र रखना चाहिए। तभी जीवन में सफल हो सकते हैं। भागवत कथा एकाग्रता पूर्वक सेवन करें तभी उसका जीवन में लाभ मिल सकता है। जीवों को मारना पाप होता है इसलिए जीव दया करते हुए किसी भी प्राणी को नहीं मारना चाहिए। मांसाहार से पाप होता है इससे सदैव बचना चाहिए। मांसाहार में कुरुर्ता के भाव आते हैं। जीव हत्या के पाप का जो परिणाम होता है उससे कोई भी नहीं बच सकता है। घोड़े और बकरे की बली अर्थ यह होता है कि हमारे अंदर जो अभिमान और ममता है उसका त्याग करना है। शाकाहार में दया के भाव रहते हैं। मानव की सुंदरता कपड़ों से नहीं होती ।मानव की सुंदरता उसके संस्कारों और चरित्र से होती है।बच्चों के सामने मोबाइल का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि बच्चे जैसा देखते हैं वैसा सीखते हैं यदि बच्चों में संस्कार अच्छे लाना है तो हम भी अच्छे संस्कारों के साथ जीवन जीए तभी हमारे बच्चे अच्छे संस्कार सीख सकेंगे। मानव जीवन में कर्म अच्छे हो तो पाप और पुण्य का अंतर करना आ जाता है। पृथ्वी पर जब-जब धर्म की हानि होती है भगवान अवतार लेते हैं। भक्त प्रहलाद ने नारायण की भक्ति को नहीं छोड़ा तो भगवान ने भक्त प्रहलाद को पहाड़ से गिराने तथा समुंद्र में गिराने पर प्राणों की रक्षा की थी।अच्छे कर्म करे तो हमारे बुरे भाग्य को भी अच्छे में बदल सकते हैं । सत्यवती ने निष्टा के साथ पतिव्रत धर्म का पालन किया तो अपने पति की मृत्यु के बाद यमराज से लड़कर वापस अपने पति को जीवित कर प्राप्त कर लिया था।मनुष्य जीवन में भवसागर से पार होने के लिए हमें अच्छे पुण्य कर्मों पर ध्यान देना चाहिए समय परिवर्तनशील है ।समय एक जैसा नहीं रहता है। समय बदलता रहता है ।दु:खआता है तो सुख भी आता है ।रात आती है तो दिन भी आता है। सुख हो या दुःख यह समय नहीं रहेगा समय परिवर्तनशील है। पुत्र हो तो भक्त प्रहलाद जैसा जो अपनी भक्ति से माता-पिता का कल्याण करवा देता है। भाई हो तो भरत जैसा राम के खड़ाऊ सिंहासन पर रखकर राज किया था। एक दूसरे के प्रति त्याग की भावना हो तो अयोध्या जैसी शांति मिलती है। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में पोथी पूजन आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
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वामन अवतार बना श्रद्धा का केंद्र
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श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मध्य जब पंकज कृष्ण महाराज ने वामन अवतार का प्रसंग बताया तो भगवान वामन का अभिनय प्रस्तुत कर रहे हैं बालक पार्थ कनेरिया ने भक्ति पंडाल में प्रवेश किया तो सभी श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा का स्वागत किया जो सभी की आस्था का केंद्र बना।
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कृष्ण जन्म
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श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मध्य पंकज कृष्ण महाराज द्वारा शनिवार को श्री कृष्ण जन्म के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा।
धर्म : संकट में सहयोग करें वही सच्चा मित्र होता है- पंकज कृष्ण महाराज
नीमच : हमारे जीवन में जब संकट आता है उस समय जो सहयोग करता है वही सच्चा मित्र होता है। जिस प्रकार गजेंद्र मोक्ष के प्रसंग में मगरमच्छ द्वारा हाथी का पांव पकड़ लिया था जब हाथी के प्राण संकट में थे तब हाथी परमात्मा को पुकारता है और तब परमात्मा हाथी के जीवन की रक्षा करते हैं।इसलिए सुख के समय भी हम भगवान की भक्ति निरंतर करते रहे तो परमात्मा दुःख की घड़ी में हमारा साथ देते है।इस प्रंसग से हमें शिक्षा मिलती है। कि संकट की घड़ी में हमें कभी घबराना नहीं चाहिए ।संकट का हंसकर मुकाबला करना चाहिए। तभी जीवन सुखमय होता है।यह बात पंकज कृष्ण महाराज ने कहीं। वे आप और हम प्रेमी जन मंडल के तत्वावधान में स्पेंटा पेट्रोल पंप के पीछे श्री शनि देव मंशा पुर्ण महादेव मंदिर इंदिरा नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दान देने से धर्म चल रहा है। दान बंद करेंगे तो धर्म नष्ट हो जाएगा। दया सत्य तप नष्ट होने की कगार पर है। कृष्ण भगवान प्रेम के भूखे थे ।उन्होंने विदुर रानी के केले के छिलके नहीं खालिए थे।उन्होंने अजामिल प्रसंग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कलयुग में सिर्फ राम नाम जपने मात्र से ही मुक्ति हो जाती है।जड़ भरत के प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि अंत समय में जैसे मति होती है वैसे ही हमारे आत्मा की गति होती है।इसका अर्थ यह है कि अंत समय में प्रभु स्मरण से ही मुक्ति हो सकती है।भक्त प्रहलाद चरित्र से यह शिक्षा मिलती है कि भक्ति की शक्ति से निर्जीव वस्तुओं से भगवान प्रकट हो सकता है।गजेंद्र मोक्ष की कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आत्म समर्पण कर के ही भगवान प्राप्त हो सकते हैं ना कि अभिमान से।भगवान श्रीराम का चरित्र धारण करने योग्य है।मन की सोच ही बंधन और मुक्ति का कारण होती है। मन के जीते जीत होती है। मन के हारे हार होती है। इसलिए मन को पवित्र रखना चाहिए। तभी जीवन में सफल हो सकते हैं। भागवत कथा एकाग्रता पूर्वक सेवन करें तभी उसका जीवन में लाभ मिल सकता है। जीवों को मारना पाप होता है इसलिए जीव दया करते हुए किसी भी प्राणी को नहीं मारना चाहिए। मांसाहार से पाप होता है इससे सदैव बचना चाहिए। मांसाहार में कुरुर्ता के भाव आते हैं। जीव हत्या के पाप का जो परिणाम होता है उससे कोई भी नहीं बच सकता है। घोड़े और बकरे की बली अर्थ यह होता है कि हमारे अंदर जो अभिमान और ममता है उसका त्याग करना है। शाकाहार में दया के भाव रहते हैं। मानव की सुंदरता कपड़ों से नहीं होती ।मानव की सुंदरता उसके संस्कारों और चरित्र से होती है।बच्चों के सामने मोबाइल का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि बच्चे जैसा देखते हैं वैसा सीखते हैं यदि बच्चों में संस्कार अच्छे लाना है तो हम भी अच्छे संस्कारों के साथ जीवन जीए तभी हमारे बच्चे अच्छे संस्कार सीख सकेंगे। मानव जीवन में कर्म अच्छे हो तो पाप और पुण्य का अंतर करना आ जाता है। पृथ्वी पर जब-जब धर्म की हानि होती है भगवान अवतार लेते हैं। भक्त प्रहलाद ने नारायण की भक्ति को नहीं छोड़ा तो भगवान ने भक्त प्रहलाद को पहाड़ से गिराने तथा समुंद्र में गिराने पर प्राणों की रक्षा की थी।अच्छे कर्म करे तो हमारे बुरे भाग्य को भी अच्छे में बदल सकते हैं । सत्यवती ने निष्टा के साथ पतिव्रत धर्म का पालन किया तो अपने पति की मृत्यु के बाद यमराज से लड़कर वापस अपने पति को जीवित कर प्राप्त कर लिया था।मनुष्य जीवन में भवसागर से पार होने के लिए हमें अच्छे पुण्य कर्मों पर ध्यान देना चाहिए समय परिवर्तनशील है ।समय एक जैसा नहीं रहता है। समय बदलता रहता है ।दु:खआता है तो सुख भी आता है ।रात आती है तो दिन भी आता है। सुख हो या दुःख यह समय नहीं रहेगा समय परिवर्तनशील है। पुत्र हो तो भक्त प्रहलाद जैसा जो अपनी भक्ति से माता-पिता का कल्याण करवा देता है। भाई हो तो भरत जैसा राम के खड़ाऊ सिंहासन पर रखकर राज किया था। एक दूसरे के प्रति त्याग की भावना हो तो अयोध्या जैसी शांति मिलती है। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में पोथी पूजन आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
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वामन अवतार बना श्रद्धा का केंद्र
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श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मध्य जब पंकज कृष्ण महाराज ने वामन अवतार का प्रसंग बताया तो भगवान वामन का अभिनय प्रस्तुत कर रहे हैं बालक पार्थ कनेरिया ने भक्ति पंडाल में प्रवेश किया तो सभी श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा का स्वागत किया जो सभी की आस्था का केंद्र बना।
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कृष्ण जन्म
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श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मध्य पंकज कृष्ण महाराज द्वारा शनिवार को श्री कृष्ण जन्म के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा।