खेतों में नरवाई जलाने पर कलेक्‍टर ने लगाया प्रतिबंध...धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्‍मक आदेश जारी

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Hemant Gupta (Neemuch) 18-04-2024 Regional

नीमच :  कलेक्‍टर एवं जिला दण्‍डाधिकारी श्री दिनेश जैन व्‍दारा दण्‍ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत नरवाई जलाने पर प्रतिबंधात्‍मक आदेश जारी किया गया है। जारी आदेशानुसार नीमच जिले में रबी फसल की कटाई के पश्चात अगली फसल के लिए खेत तैयार करने हेतु बहुसंख्यक कृषकों द्वारा अपनी सुविधा के लिए खेत में आग लगाकर गेहूँ के डंठलों को जलाया जाता है, इसको नरवाई में आग लगाने की प्रथा के नाम से जाना जाता है। नरवाई में आग लगाने के कारण विगत वर्षों में गंभीर स्वरुप की अग्नि दुर्घटनाएँ घटित हुई है, जिसके कारण मकानों में आग लगने से, समीप के खेतों में खड़ी फसल भी आग के कारण जलकर नष्ट हुई है। जिस कारण जन, धन एवं पशु हानि हुई है। साथ ही प्रशासन के लिए कानूनी व्यवस्थापन की स्थिति निर्मित हुई है, आग से उत्सर्जित होने वाली हानिकारक गैसों के कारण वायुमंडल एंव पर्यावरण प्रदुषि‍त हुआ है, जिस कारण वायुमंडल में विद्यमान ओजोन परत भी प्रभावित हुई है और इस कारण पराबैंगनी हानिकारक किरणें पृथ्वी तक पहुंचती है, जो कि मानव, पशुओं के लिए रोगजन्य होती है।

     म.प्र.शासन पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदुषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 19 (1) के अन्तर्गत दिनांक 09 मार्च 1988 के माध्यम से अधिसूचना जारी कर वायु (प्रदुषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 के प्रावधानों के अनुपालन हेतु संपूर्ण मध्‍यप्रदेश को वायु प्रदुषण नियंत्रण हेतु अधिसूचित किया गया है। मध्यप्रदेश में वायु (प्रदुषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के तहत नरवाई जलाना तत्समय से तत्काल प्रतिबंधित किया गया है, जो कि वर्तमान में निरंतर है। पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना अन्तर्गत नरवाई में आग लगाने वालों केविरुद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु निम्नानुसार दण्ड का प्रावधान किया गया है।

      2 एकड तक के कृषकों को रुपयें 2500/- का अर्थदण्ड प्रत्तिदंड प्रति घटना, 2 से 5 एकड़तक के कृषकों को रुपये 5000/- का अर्थदंड प्रति घटना, 5 एकड़ से बड़े कृषकों को रुपयें 15000/- का अर्थदंड प्रति घटना,आरोपित करने का प्रावधान किया गया है। नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता निम्नानुसार प्रभावित होती है-खेत में आग लगने से खेत के माइक्रोफ्लोरा एवं माइक्रोफोना नष्ट हो जाते है।मृदा एक जीवित माध्यम है क्योंकि इसमें असंख्यक सूक्ष्म जीव यथा बैक्टरीयां, फंगस, सहजीविता निर्वहन करने वाले सूक्ष्म लाभदायक जीवाणु नष्‍ट हो जाते है, जोकि भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता में सहायक होते है।नरवाई जलाने से खेत की उर्वरता में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे फसल उत्पादन पर प्रतिकूल असरपड़ रहा है।                             उपरोक्तानुसार वायुमंडल, पर्यावरण एवं भूमि की क्षति को दृष्टिगत रखते हुए सार्वजनिक हित में कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री दिनेश जैन द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत जन सामान्य को बाधा, क्षति, मानव जीवन स्वास्थ्य, क्षेम के खतरे के प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए नीमच जिले की भौगोलिक सीमाओं में खेत में खडे गेहूँ के डंठलों (नरवाई) एवं फसल अवशेषों में आग लगाये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह आदेश तत्‍काल प्रभाव से 03 माह तक की अवधि के लिए प्रभावशील रहेगा।

    यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील होगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्धभारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जावेगी।