सुसनेर: वाणी का संयम और मिठास आपको बहुत सम्मान दिलाता है, यही गुण नारदजी में है इसलिए वह देवर्षि है- पत्रकार दिलीप शर्मा

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(Agar Malwa) 07-05-2023 Editorial

 


सुसनेर (अर्पित हरदेनिया)। नारदी के जीवन का हर वृतांत हमारे लिए प्रेरणादायी है, हमे उनके जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलात है। वाणी का संयम और मिठास आपको बहुत सम्मान दिलाता है, यही गुण नारदजी में है इसलिए वह देवर्षि है। किन्तु आजकल धार्मिक चलचित्रों और धारावाहिकों में नारदजी का जैसा चरित्र-चित्रण हो रहा है, वह देवर्षि की महानता के सामने एकदम बौना है। नारदजी के पात्र को जिस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है, उससे आम आदमी में उनकी छवि लडा़ई-झगडा़ करवाने वाले व्यक्ति अथवा विदूषक की बन गई है। यह उनके प्रकाण्ड पांडित्य एवं विराट व्यक्तित्व के प्रति सरासर अन्याय है। नारदजी देवताओं के प्रवक्ता भी हैं और वस्तुत: सही मायनों में देवर्षि भी। उक्त विचार आगर रोड पर शिवाय होटल में विश्व संवाद केन्द्र आगर के द्वारा आयोजित नारद जयंती के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुएं मुख्यवक्ता के रूप में वन इंडिया डेलीहन्ट एवं पब्लिक वाइप के संभाग हेड  दिलीप शर्मा ने व्यक्त किये। उन्होने आगे कहां की नारदजी में जो सादगी है, चंचलता है, गंभीरता है और विषयो व मुद्दो के अनुरूप जैसा उनका आचरण था वेसे आचरण की आवश्यकता आज की पत्रकारिता के लिए आवयश्यक है। हमे नारदजी के जीवन से बहुत कुछ सीखने के मिलता है, कहां किस विषय का बखान करना एवं किस तरह से अपनी बात रखते हुएं सागदीपूर्ण तरीके से निस्वार्थ भाव से कार्य को करवा लेना यह सम्पर्णू गुण नारदजी में है। जिनका पालन करते हुएं हमे कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता शासकीय स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर श्री जी सी गुप्ता ने की। उन्होने नारदजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुएं संक्षिप्त में अपने विचार व्यक्त करते हुएं कहां की नारद मुनि हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक है। उन्होने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया है। वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन कहा गया है। इसी कारण सभी युगों में, सब लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गो में नारदजी का सदा से प्रवेश रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर दिया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है। कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियो के द्वारा नारदजी और भारत माता के चित्र के समक्ष द्वीप प्रज्वलन व माल्यापर्ण कर की गई। कार्यक्रम का संचालन राजेश अजनबी ने किया व आभार राकेश बिकुन्दिया ने माना। उक्त जानकारी संघ के जिला प्रचार प्रमुख राजेश मेडवाल के द्वारा दी गई। इस अवसर पर आगर जिलें के सुसनेर, नलखेडा, सोयत, बडोद व तनोडिया के पत्रकारगण भी मोजूद रहे।

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