स्थानीय सरदार वल्लभभाई पटेल शासकीय महाविद्यालय नलखेड़ा में उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश के निर्देशानुसार भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के तत्वाधान में विभिन्न प्रतियोगिताओं का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उज्जैन विभाग के शारीरिक प्रमुख श्री महेंद्र सिंह जी जोधा के मुख्य आतिथ्य एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी. एल. रावल की अध्यक्षता में किया गया l इस अवसर पर सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रजवलन एवं माल्यार्पण किया गया l कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन के साथ ही भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. जितेंद्र चावरे द्वारा प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी दी गई एवं भारतीय ज्ञान परंपरा का मुख्य उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला l कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता श्री महेंद्र सिंह जी जोधा द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्धशाली एवं गौरवशाली इतिहास का सह उदाहरण गान किया गया साथ ही वेद, पुराण, उपनिषद की उक्तियों को वर्तमान परिपेक्ष्य में सार्थक बनाकर विद्यार्थी अपने जीवन में किस प्रकार लाभान्वित हो सकते हैं ? इस विषय पर विस्तार से समझाया गया l
श्री जोधा ने कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता, पर्यावरण सुरक्षा, नैतिकता, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और सामाजिक ताने-बाने को संजोकर रखने हेतु विभिन्न सूत्र विद्यार्थियों को प्रदान किए गए l श्री जोधा ने बताया कि लार्ड मेंकाले द्वारा प्रसारित शिक्षा पद्धति द्वारा लोगों के हाथों से हुनर छीन लिए गए, हुनर मुक्त शिक्षा पाकर बेरोजगार की भीड़ पैदा कर दी, वर्ण व्यवस्था को जाति व्यवस्था में परिवर्तित कर दिया गया और समाज में वैमनस्य स्थापित कर दिया गया l शिक्षा के नाम पर सांस्कृतिक विरासत से दूर कर दिया गया, वर्तमान शिक्षा पद्धति के परिणामस्वरूप ही पुरुषार्थ में से धर्म और मोक्ष को गौण कर गया और व्यक्ति अर्थ और काम के वशीभूत हो गया, परिणाम स्वरूप समाज में अराजकता और भय का वातावरण उत्पन्न हो गया l मिलावट खोरी, जमाखोरी के द्वारा व्यक्ति पतन के मार्ग की ओर अग्रसर हो गया, और समाज में विद्वेष और अविश्वास का वातावरण बन गया l परिवार टूट गए और हमारा सामाजिक, सांस्कृतिक ताना-बाना बिखर गया l भारतीय ज्ञान परंपरा द्वारा ही इस सामाजिक संरचना के पुनर्गठन और एक अखंड भारत का स्वप्न साकार होना संभव है l अध्यक्षीय उद्बोधन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी. एल. रावल द्वारा दिया गया l कार्यक्रम का संचालन भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. सर्वेश व्यास द्वारा किया गया एवं आभार भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. सुखदेव बैरागी द्वारा माना गया l इस अवसर पर महाविद्यालय का समस्त स्टाफ एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे l
शहर : भारतीय ज्ञान परंपरा के निर्वहन से ही पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण संभव - श्री जोधा जी
स्थानीय सरदार वल्लभभाई पटेल शासकीय महाविद्यालय नलखेड़ा में उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश के निर्देशानुसार भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के तत्वाधान में विभिन्न प्रतियोगिताओं का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उज्जैन विभाग के शारीरिक प्रमुख श्री महेंद्र सिंह जी जोधा के मुख्य आतिथ्य एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी. एल. रावल की अध्यक्षता में किया गया l इस अवसर पर सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रजवलन एवं माल्यार्पण किया गया l कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन के साथ ही भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. जितेंद्र चावरे द्वारा प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी दी गई एवं भारतीय ज्ञान परंपरा का मुख्य उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला l कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता श्री महेंद्र सिंह जी जोधा द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्धशाली एवं गौरवशाली इतिहास का सह उदाहरण गान किया गया साथ ही वेद, पुराण, उपनिषद की उक्तियों को वर्तमान परिपेक्ष्य में सार्थक बनाकर विद्यार्थी अपने जीवन में किस प्रकार लाभान्वित हो सकते हैं ? इस विषय पर विस्तार से समझाया गया l
श्री जोधा ने कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता, पर्यावरण सुरक्षा, नैतिकता, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और सामाजिक ताने-बाने को संजोकर रखने हेतु विभिन्न सूत्र विद्यार्थियों को प्रदान किए गए l श्री जोधा ने बताया कि लार्ड मेंकाले द्वारा प्रसारित शिक्षा पद्धति द्वारा लोगों के हाथों से हुनर छीन लिए गए, हुनर मुक्त शिक्षा पाकर बेरोजगार की भीड़ पैदा कर दी, वर्ण व्यवस्था को जाति व्यवस्था में परिवर्तित कर दिया गया और समाज में वैमनस्य स्थापित कर दिया गया l शिक्षा के नाम पर सांस्कृतिक विरासत से दूर कर दिया गया, वर्तमान शिक्षा पद्धति के परिणामस्वरूप ही पुरुषार्थ में से धर्म और मोक्ष को गौण कर गया और व्यक्ति अर्थ और काम के वशीभूत हो गया, परिणाम स्वरूप समाज में अराजकता और भय का वातावरण उत्पन्न हो गया l मिलावट खोरी, जमाखोरी के द्वारा व्यक्ति पतन के मार्ग की ओर अग्रसर हो गया, और समाज में विद्वेष और अविश्वास का वातावरण बन गया l परिवार टूट गए और हमारा सामाजिक, सांस्कृतिक ताना-बाना बिखर गया l भारतीय ज्ञान परंपरा द्वारा ही इस सामाजिक संरचना के पुनर्गठन और एक अखंड भारत का स्वप्न साकार होना संभव है l अध्यक्षीय उद्बोधन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी. एल. रावल द्वारा दिया गया l कार्यक्रम का संचालन भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. सर्वेश व्यास द्वारा किया गया एवं आभार भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. सुखदेव बैरागी द्वारा माना गया l इस अवसर पर महाविद्यालय का समस्त स्टाफ एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे l