नीमच : नीमच जिले के जावद विकासखण्ड के ग्राम ताल में जय वीर तेजाजी महिला आजीविका समूह से जुडकर श्रीमती माया बाई बैरागी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन गई है। वह समूह के माध्यम से शासकीय उचित मूल्य दुकान का सफलतापूर्वक संचालन कर प्रति माह 10 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर रही है। आज माया की पहचान शा.उचित मूल्य की दुकान संचालक के रूप में हो गई है।
पहले श्रीमती माया बाई बैरागी ने वर्ष 2020 में जय वीर तेजाजी महिला आजीविका समूह से जुडकर एक लाख 25 हजार रूपये का ऋण लिया और वह स्वयं की कंगन स्टोर की दुकान का भी संचालन कर रही हैं। श्रीमती माया ने बैंक सखी के रूप में कार्य कर विभिन्न 12 समूहों को 42 लाख से अधिक की राशि उपलब्ध करवाई है, जिससे इन समूहों की महिलाओं के आजीविका स्तर में सुधार हुआ हैं।
स्व-सहायता समूह से जुडकर माया न केवल शा.उ. मूल्य दुकान का संचालन कर रही है, बल्कि मनिहारी की दुकान भी संचालित कर सालाना 1.25 लाख रूपये की आय प्राप्त कर लखपति दीदी बन गई है। इस समूह से उसके परिवार की अन्य महिलाएं भी जुडी हुई है और वे प्रतिवर्ष एक लाख 25 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर रही है। समूह से जुडने से पहले माया गृहणी के रूप में कार्य करती थी और उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। स्व-सहायता समूह से जुड़कर श्रीमती माया बैरागी की पहचान अब राशन वाली दीदी के रूप में हो गई है।
इस तरह स्व-सहायता समूह से जुडकर माया बैरागी ने अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है। स्व-सहायता समूह की वजह से माया बैरागी के जीवन एवं परिवार में काफी बदलाव आया है। वे आज महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है।
देश : स्व-सहायता समूह से जुडकर राशन दुकान का सफलतापूर्वक संचालन कर रही है माया बैरागी
नीमच : नीमच जिले के जावद विकासखण्ड के ग्राम ताल में जय वीर तेजाजी महिला आजीविका समूह से जुडकर श्रीमती माया बाई बैरागी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन गई है। वह समूह के माध्यम से शासकीय उचित मूल्य दुकान का सफलतापूर्वक संचालन कर प्रति माह 10 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर रही है। आज माया की पहचान शा.उचित मूल्य की दुकान संचालक के रूप में हो गई है।
पहले श्रीमती माया बाई बैरागी ने वर्ष 2020 में जय वीर तेजाजी महिला आजीविका समूह से जुडकर एक लाख 25 हजार रूपये का ऋण लिया और वह स्वयं की कंगन स्टोर की दुकान का भी संचालन कर रही हैं। श्रीमती माया ने बैंक सखी के रूप में कार्य कर विभिन्न 12 समूहों को 42 लाख से अधिक की राशि उपलब्ध करवाई है, जिससे इन समूहों की महिलाओं के आजीविका स्तर में सुधार हुआ हैं।
स्व-सहायता समूह से जुडकर माया न केवल शा.उ. मूल्य दुकान का संचालन कर रही है, बल्कि मनिहारी की दुकान भी संचालित कर सालाना 1.25 लाख रूपये की आय प्राप्त कर लखपति दीदी बन गई है। इस समूह से उसके परिवार की अन्य महिलाएं भी जुडी हुई है और वे प्रतिवर्ष एक लाख 25 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर रही है। समूह से जुडने से पहले माया गृहणी के रूप में कार्य करती थी और उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। स्व-सहायता समूह से जुड़कर श्रीमती माया बैरागी की पहचान अब राशन वाली दीदी के रूप में हो गई है।
इस तरह स्व-सहायता समूह से जुडकर माया बैरागी ने अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है। स्व-सहायता समूह की वजह से माया बैरागी के जीवन एवं परिवार में काफी बदलाव आया है। वे आज महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है।