मंदसौर जिले से महज 2 कि.मी. दूर गांव जग्गाखेड़ी के वासिंदे आज भी पेयजल के लिये हेडपम्प के सहारे अपना जीवन बसर कर रहे हैं।यहां पर नलो में पानी नहीं आता हैं। कहने को जल मिशन योजना के तहत यहां पर पाईप लाईने डालकर ठेकेदार ने लाखों रूपए का भुगतान जरूर ले लिया हैं लेकिन एक बाल्टी पानी भी इतने लम्बे समय के बाद जनता को नहीं मिल पाया है। यहां के लोगों को पानी के लिये संघर्ष करते-करते ही पुरा जीवन निकल गया हैं। लेकिन यहां नेता नगरी द्वारा विकास की लम्बी-लम्बी कहानी और सुर्रिया जरूर छोड़ी जाती हैं। जग्गाखेड़ी के समीप कई कालोनियां विकसित हो गई हैं। लेकिन मुलभुत सुविधा के नाम पर यहां के गांव में हालात बद से बदत्तर हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ई.ई. पीएचई, मंदसौर से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।
शहर : पानी के लिये तरसते लोगों को केवल हेडपम्प का सहारा
मंदसौर जिले से महज 2 कि.मी. दूर गांव जग्गाखेड़ी के वासिंदे आज भी पेयजल के लिये हेडपम्प के सहारे अपना जीवन बसर कर रहे हैं।यहां पर नलो में पानी नहीं आता हैं। कहने को जल मिशन योजना के तहत यहां पर पाईप लाईने डालकर ठेकेदार ने लाखों रूपए का भुगतान जरूर ले लिया हैं लेकिन एक बाल्टी पानी भी इतने लम्बे समय के बाद जनता को नहीं मिल पाया है। यहां के लोगों को पानी के लिये संघर्ष करते-करते ही पुरा जीवन निकल गया हैं। लेकिन यहां नेता नगरी द्वारा विकास की लम्बी-लम्बी कहानी और सुर्रिया जरूर छोड़ी जाती हैं। जग्गाखेड़ी के समीप कई कालोनियां विकसित हो गई हैं। लेकिन मुलभुत सुविधा के नाम पर यहां के गांव में हालात बद से बदत्तर हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ई.ई. पीएचई, मंदसौर से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।