नारी ओर धन दरिद्रता के समान होता है.-शासन दीपक लाघव मुनि जी मसा

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SSE NEWS NETWORK (Neemuch) 28-01-2024 Devotional

कुकड़ेश्वर/ब्यावर : दरिद्रता वाले को प्रकृती के अलावा सभी नुकसान पहुंचाते है क्योंकि दरिद्र व्यक्ति को झुटन ही प्यारी लगती हैं उक्त बात साधु मार्गी जैन संघ के नवम् पटधर आचार्य भंगवत श्री रामेश के शिष्य शासन दीपक श्री लाघव मुनि जी मसा ने धर्म प्रभावना देते हुए समता भवन ब्यावर में रविवारीय चिन्तन प्रवचनों के दौरान धर्म सभा में कहा कि दरिद्र व्यक्ति झुटन आये बिना कमाया हराम का खाने का लोभी होता झूटन ही उसका सुख है, क्योंकि उसके लिए दरिद्रता शब्द ही भय है आज हम देख रहे हैं कि हर समय व्यक्ति नारी और धन को  पाने में जुटा रहता है और झुटन समझ कर दरिद्रता के समान उसको खाने मे लगा रहता है।
   मसा ने दरिद्रता कामी लोभी और दुराचारी को कहा गया धन से दरिद्र को नहीं आपने कहा दरिद्र व्यक्ति का चरित्र कर्म ही एसा है उसे देखकर संसार के अलावा आज कुदरत भी दया नही कर सकती क्योंकि कुदरत का ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने मे लगा रहता है। ऐसे व्यक्ति का समय आने पर शरीर का कोई भी अंग साथ नही देता, प्रकृति भी नही चाहती उसको कुछ मिले उनके सामने दुनिया की श्रेष्ठ वस्तु भी रख देते फिर भी उसे  झुटन ही समझेगा क्योंकि उसको  हराम की आदतों याने झुटन खाने की आदत पड़ गई झुटन को ही उसने सब कुछ समझ बैठा और उसे खोना नही चाहता।म सा ने कहा नारी और धन से बढकर कोई नही यह दो चीज पुण्य होने पर मिलती है आज हम इसे भोगने के लिए तैयार बैठे है हमारी आत्मवासना धन के लिए तरसती जा रही है। लेकिन इसका भविष्य कितना दुखदायी होता है।आज हमें संत समागम मिल रहा जिन शासन मिला और जैन कुल मिला अगर हम इस झुटन के बाहर नहीं निकले तो घुटन ही घुटन मिलेगी आपने कहा ऐसे व्यक्ति को भगवान भी आकर  सुधार नही सकते  और ऐसे मूर्ख व्यक्ति को कोन समझायें। आपने बताया कि व्यति को अपने जीवन मे धन ओर नारी का त्याग करने पर सुख ही सुख मिलता है।नरक मे कर्मो को भोगकर भी हम आत्मा को नेक बना सकते हैं।इस मानव भव में हम जिनवाणी श्रवण कर आत्म दृष्टि को जान कर आत्म कल्याण में लगा सकती है इसके लिए हमें जिस प्रकार तपस्या करके तपस्वी संत अपनी तपस्या से कर्मो से युद्ध करते करते अपनी आत्मा को पवित्र बनाने मे लगे रहते है इसी प्रकार हमें भी त्याग तपस्या व धर्म आराधना करके इस भव के साथ भवभवांन्तर को सुधार सकते हैं।

रिपोर्ट : मनोज खाबिया

प्रादेशिक