दानों में सर्व क्षेष्ठ दान है धर्म दान--शोभन मुनि जी म सा
Hemant Gupta (Neemuch) 04-07-2024 Regional
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ब्यावर : हुकमेश संघ के नवम् पटधर आचार्य भंगवत 1008 श्री रामेश के शिष्य श्री शोभन मुनि जी मसा ने समता भवन में महंती धर्म सभा में प्रवचन देते हुए फ़रमाया दान का महत्व बताते हुए कहा दान दस प्रकार के होते है दान देने वाले किस प्रकार के भाव मन मे रखकर दान देता है उसके पीछे क्या कारण होगा या रहा होगा।दस दानो मे सबसे बढ़िया धर्म दान होता है दान धर्म दान धार्मिक व्यक्ति को दिया गया दान सुपात्र दान होता है जिसका मन धर्म के साथ जुड़ा रहता वही धर्म दान कहलाता है। सुपात्र दान वही होता जो जिसमे हम जीवो को अभयदान दे सकते शरण आये व्यक्ति को बचाने का फर्ज हमारा होना चाहिए।
आपने दस दान के प्रकार बताए अनुकम्पा दान जिसमें करुणा भाव से प्रेरित होकर दान दिया गया हो। संग्रह दान जो किसी की सहायता के लिए दिया जाता जैसे करोना काल लोगों द्बारा दिया गया और भय दान जो हमसे डराकर लिया जाता।करुणीदान जो व्यक्ति पीछे रह जाते उसकी मदद के हिसाब से दिया गया दान। लज्जा दान लोक लाज से दान देना ना इच्छा होते हुए भी देना।
इसी प्रकार गोरव दान अपने यश को बढाने के लिए अर्थात अपना परिवार का नाम रोशन हो।अधर्म दान जो अधार्मिक जैसे व्यक्ति को मजबूरन देना होता है।अपने संयोग से व भविष्य मे कुछ करेंगे के हिसाब से दान देना होता है व बाद मे कुछ मिलेगा।जीवन दान देना कुछ लोग जान की बाजी लगने पर जीवन का दान दे देतें।मसा ने कहा सुबह शाम का चक्कर छोड़ो ओर प्रकृति से नाता जोडो। कुछ व्यक्ति मेहमान बनकर आते जिसकी हम खातिर दारी भक्ति भाव से करते वहीं कुछ लोग मनुहार कराके खातिरदारी कराते है।आजकल के बच्चे बडे दिमाग वाले होते जा रहे है। हमारे दुख का कारण वस्तु को इकट्ठा करने से है लेकिन हमें इसे छोड़ना पडता वो ही हमें दुखी बना देता है।
मनोज खाबिया
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