भीलवाड़ा : धोरीमन्ना उपखण्ड के भीमथल क्षेत्र में तीन-चार श्वानों ने हिरणों का पीछा कर एक हिरण को अपने चंगुल में ले लिया तब हिरण के रोने की आवाज सुनकर राहगीर जुंजाराम,उगराराम व भीखाराम लोल उनकी ओर दोङे तो श्वान लोगों को आते देख हिरण को छोड़कर भाग गए।नजदीक जाकर देखा तो हिरण काफी घायल था और उसके खून बह रहा था तब भीखाराम लोल ने राउमावि पाबूबेरा में कार्यरत अपने गुरु पर्यावरण प्रेमी जगदीश प्रसाद विश्नोई से संपर्क कर घटना के बारे में यथास्थिति बतायी तब शिक्षक विश्नोई तुरंत मौके पर पहूंचे और घायल हिरण का प्राथमिक उपचार किया फिर अपने निजी वाहन से मां अमृतादेवी वन्यजीव संरक्षण संस्थान कातरला पहूंचाकर उपचार कराया फिर संस्थान को सुपुर्द कर दिया।संस्थान के व्यवस्थापक रामजीवन बेनीवाल ने बताया कि यहां पर आस-पास के क्षेत्रों में दुर्घटनाग्रस्त व श्वानों के हमलों से घायल जीव जन्तुओं का समय पर इलाज,सेवा व सुरक्षा की जाती है और खुले वातावरण में विचरण करने के लिए सुविधा दी जाती है। संस्थान में वन्यजीवों के रेस्क्यू में राउमावि पाबूबेरा में कार्यरत स्टेट अवार्डी शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई का विशेष योगदान रहता है जो विद्यालय समय से पहले-बाद व अवकाश के दिन में दुर्घटनाग्रस्त व घायल वन्यजीवों का रेस्क्यू कर स्वयं के निजी वाहन से निस्वार्थ भाव पहूंचाते हैं और तन मन व धन से समर्पित होकर मां अमृतादेवी वन्यजीव संरक्षण संस्थान कातरला से जुड़े रहते हैं जो हम सबके के लिए प्रेरणास्रोत हैं।शिक्षक विश्नोई से बात करने पर बताया कि मूक प्राणियों की सेवा व सुरक्षा करना मानव धर्म है जिसे मैं समय मिलने पर तन मन और धन से समर्पित होकर निभाने की कोशिश करता हूं।
रिपोर्ट : राजकुमार गोयल
राज्य : श्वानों के चंगुल से हिरण का रेस्क्यू कर सौंपा मां अमृतादेवी वन्यजीव संरक्षण संस्थान को
भीलवाड़ा : धोरीमन्ना उपखण्ड के भीमथल क्षेत्र में तीन-चार श्वानों ने हिरणों का पीछा कर एक हिरण को अपने चंगुल में ले लिया तब हिरण के रोने की आवाज सुनकर राहगीर जुंजाराम,उगराराम व भीखाराम लोल उनकी ओर दोङे तो श्वान लोगों को आते देख हिरण को छोड़कर भाग गए।नजदीक जाकर देखा तो हिरण काफी घायल था और उसके खून बह रहा था तब भीखाराम लोल ने राउमावि पाबूबेरा में कार्यरत अपने गुरु पर्यावरण प्रेमी जगदीश प्रसाद विश्नोई से संपर्क कर घटना के बारे में यथास्थिति बतायी तब शिक्षक विश्नोई तुरंत मौके पर पहूंचे और घायल हिरण का प्राथमिक उपचार किया फिर अपने निजी वाहन से मां अमृतादेवी वन्यजीव संरक्षण संस्थान कातरला पहूंचाकर उपचार कराया फिर संस्थान को सुपुर्द कर दिया।संस्थान के व्यवस्थापक रामजीवन बेनीवाल ने बताया कि यहां पर आस-पास के क्षेत्रों में दुर्घटनाग्रस्त व श्वानों के हमलों से घायल जीव जन्तुओं का समय पर इलाज,सेवा व सुरक्षा की जाती है और खुले वातावरण में विचरण करने के लिए सुविधा दी जाती है। संस्थान में वन्यजीवों के रेस्क्यू में राउमावि पाबूबेरा में कार्यरत स्टेट अवार्डी शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई का विशेष योगदान रहता है जो विद्यालय समय से पहले-बाद व अवकाश के दिन में दुर्घटनाग्रस्त व घायल वन्यजीवों का रेस्क्यू कर स्वयं के निजी वाहन से निस्वार्थ भाव पहूंचाते हैं और तन मन व धन से समर्पित होकर मां अमृतादेवी वन्यजीव संरक्षण संस्थान कातरला से जुड़े रहते हैं जो हम सबके के लिए प्रेरणास्रोत हैं।शिक्षक विश्नोई से बात करने पर बताया कि मूक प्राणियों की सेवा व सुरक्षा करना मानव धर्म है जिसे मैं समय मिलने पर तन मन और धन से समर्पित होकर निभाने की कोशिश करता हूं।