रिपोर्ट: राजकुमार गोयल
भीलवाड़ा: शहर के आर.सी. व्यास कॉलोनी स्थित शिवाजी पार्क में स्थित श्री विश्वेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में रामनवमी के पावन अवसर पर एक भव्य धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। श्री विश्वेश्वर महादेव मंदिर विकास समिति एवं सुमंगल सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में 162 कन्याओं का विधिवत पूजन व पाद प्रक्षालन कर उन्हें देवी स्वरूप मानकर सम्मानित किया गया। आयोजन की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पंडित आशुतोष द्वारा माँ अंबे की प्रतिमा पर चुनरी अर्पित कर की गई। इसके पश्चात उपस्थित 162 कन्याओं के चरण धोकर पूजन किया गया। समिति सदस्यों एवं श्रद्धालुओं ने प्रत्येक कन्या को तिलक कर चुनरी ओढ़ाई तथा फल, स्टेशनरी और नकद राशि भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। पूरे कार्यक्रम में श्रद्धा, सेवा और भावनाओं का अनूठा संगम देखने को मिला। कन्या पूजन के पश्चात सुमंगल सेवा संस्थान के संरक्षक सुरेंद्र कोठारी, एबीआरएसएम के सचिन प्रोफेसर और डॉ. कश्मीर भट्ट की उपस्थिति में माँ अंबे की सामूहिक आरती की गई। इस दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं ने विश्व शांति, मानव कल्याण और समाज के मंगलमय भविष्य की कामना की। सामूहिक आरती में महिलाओं और युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम में कन्या भोज से पूर्व शिवम् वैष्णव द्वारा भोजन मंत्र का उच्चारण कराया गया। तत्पश्चात कन्याओं को ससम्मान भोजन परोसा गया। इस दौरान महिला मण्डल की सदस्यों द्वारा मधुर भजनों की प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिससे समूचा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया। आयोजन की विशेष आकर्षण रही मेवाड़ की वीरांगनाओं पर आधारित ऐतिहासिक प्रदर्शनी, जिसे सुमंगल सेवा संस्थान के संयोजक अमित काबरा ने संकलित किया था। प्रदर्शनी में मेवाड़ के इतिहास से जुड़े चित्र, प्रसंग और वीर गाथाओं का रोचक प्रदर्शन किया गया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इस कार्यक्रम में नगर के अनेक गणमान्य नागरिकों एवं समाजसेवियों ने सहभागिता निभाई। प्रमुख रूप से अमित काबरा, मोहित सिंह, नरेश ओझा, विजयलक्ष्मी दीपक समदानी, प्रवीण इनानी, विजय पटेल, जे.के. मित्तल, जगदीश सुवालका, संजय काबरा, बंशी लाल कुमावत, मनोज अग्रवाल, प्रेरणा खारीवाल, कीर्ति सोलंकी, राजेश सोमानी, प्रकाश, अशोक पाठोदिया सहित अनेक स्वयंसेवकों एवं स्थानीय निवासियों ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। इस आयोजन के माध्यम से समाज में कन्या सम्मान, सेवा भावना और सांस्कृतिक चेतना को बल मिला। आयोजकों ने भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजनों के निरंतर आयोजन का संकल्प लिया।
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